King story in hindi (raja ki kahani in hindi)
यह एक शिक्षाप्रद कहानी है ।
राजा वीरभान एक समृद्ध बड़े राज्य के राजा थे । वे एक कुशल शासक और चतुर राजा थे । उन्होंने अपने पिता से एक छोटा सा राज्य विरासत में पाया था , अपनी काबिलियत और मेहनत से उन्होंने धीरे धीरे करके अपने राज्य का विस्तार किया और अपने समय के सबसे बलवान राजा बन गए थे । उनके राज्य में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी । जनता उनसे बहुत खुश थी और उनके शासन में सुख चैन से रहती थी । वीरभान भी अपनी प्रजा से बहुत प्रेम करते थे , और अपनी प्रजा के सुख दुख में हमेशा साथ देते थे ।
पर कोई कितना भी अच्छा या बुरा हो , महान हो या कमजोर , समय सदैव के लिए किसी का होके नही रहता । समय के साथ साथ वीरभान भी बूढ़े हो चले थे । और अक्सर अब ढलती उम्र उन्हे परेशान करती थी । अब उनकी चिंता का सबसे बड़ा कारण था की उनके बाद वह अपनी मेहनत से बनाया राज्य एक सही हाथो में देना चाहते थे ।
वैसे तो राजा के तीन बेटे थे , सबसे बड़ा बेटा रूद्र प्रताप , मंझला बेटा शिव प्रताप और सबसे छोटा वीर प्रताप ।
तीनो ही युद्ध कलाओं और विद्या में निपुण थे । ऐसे में राजा वीरभान के लिए उनमें से एक को उत्तराधिकारी चुनना एक कठिन कार्य था ।
वीरभान चाहते थे की वे उस बेटे को चुने जो ताकत हिम्मत के साथ साथ दिमाग से भी तेज हो और सही समय पर सही फैसले लेने में सक्षम हो ।
राजा वीरभान ने इसके लिए तीनो की परीक्षा लेने का विचार बनाया । उन्होंने तीनो बेटों को एक दिन अपने पास बुलाया , और कहा की आप तीनो को में एक काम दे रहा हूं , आपको जो काम में बताऊं उसे अच्छे से करना है ।और अपनी योग्यता साबित करनी है ।
तीनो बेटे इस चुनौती के लिए हामी भर देते हैं।
राजा तीनो बेटों को एक दूसरे महल में ले जाते है जिसमे तीन कमरे थे ,और अपने बेटों को कमरे दिखाते हैं। उन कमरों में कोई खिड़की नही थी और केवल आने जाने के लिए एक दरवाजा था । महल के काफी अंदर होने के कारण उनमें काफी अंधेरा भी था । वीरभान ने अपने बेटो से एक एक कमरा चुनने को कहा । तीनो कमरे बिलकुल एक जैसे थे तो बेटो को कमरा चुनने में ज्यादा दिक्कत नही हुई । फिर राजा ने हर एक को सौ सौ मुद्राएं दी और कहा की शाम होने तक आपको इन मुद्राओं से कुछ खरीद कर लाना है ।और उसी से अपने अपने कमरों को पूरा भर देना है । जो भी सबसे कम पैसे खर्च करके सबसे ज्यादा इन कमरों को भर देगा , वो विजेता माना जायेगा और वही मेरा उत्तराधिकारी होगा ।
यह सुनकर तीनो बेटे सोच में पड़ गए की वे इन मुद्राओं से क्या ऐसा खरीदेगे की जिससे ज्यादा से ज्यादा कमरा भरा जा सके। थोड़ी देर विचार करने के बाद तीनो को कुछ न कुछ दिमाग में आया और वे उसे लेने बाजार में निकल गए ।
वीरभान भी अपने महल वापस आकर शाम होने का इंतजार करने लगे ।
इधर पूरे दिन की भागदौड़ और मेहनत करके तीनो बेटों ने अपने पिता को संदेश भिजवाया की उन्होंने काम पूरा कर दिया है । राजा वीरभान अपने मंत्रियों और रानी को लेकर उनके काम देखने के लिए पुनः उस दूसरे महल में पहुंचे जिसमे वे तीनो कमरे थे ।
सबसे पहले उनका बड़ा बेटा रूद्र प्रताप उनके पास आया और उसने केवल अपनी 100 मुद्राओं में से बचे 9 मुद्राएं अपने पिता के हाथ में रखे । राजा ने कहा की ठीक है दिखाओ की आपने 91 मुद्राओं का क्या लिया जिससे आपका कमरा भर गया ?
रूद्र प्रताप ने अपना कमरा दिखाया तो राजा दंग रह गए ।
उसने अपने कमरे का दरवाजा एकदम सील बंद करवा दिया और छत का एक कोना तुड़वा कर ऊपर से एक छेद बनवाया और उसमे पूरा पानी भर दिया । तभी उसे यह सब करवाने में काफी धन खर्चना पड़ा ।
यह सब देखकर सबसे छोटा बेटा वीरप्रताप खुश हो गया क्युकी उसने तो 50 मुद्राएं बचा रखी थी । उससे अपनी बारी का सब्र नहीं हुआ और वह पहले उत्साहित होकर अपने पिता के पास आया और अपनी बचत के 50 मुद्राएं उन्हे पकड़ाते हुए बोला - "पिताजी मैंने भैया से ज्यादा पैसे बचा के अपना कमरा भरा है । आइए देखिए ।"
राजा वीरभान ने उसका कमरा देखा । वीरप्रताप ने अपने कमरे को पूरी तरह भूसा से भर दिया था । कमरे में ऊपर तक भूसा ही भरा था । राजा मन ही मन थोड़ा दुखी हुए ।
फिर उन्होंने अपने मंझले बेटे शिव प्रताप से पूछा -" तुम कितनी मुद्राएं बचा के लाए हो ? "
यह सुनकर शिव प्रताप ने 99 मुद्राएं अपने पिता के हाथ में रख दीं। राजा ने हैरानी से पूछा - क्या हुआ तुमने अपना कमरा किसी भी चीज से नही भरा क्या ?" क्युकी 1 मुद्रा से क्या ही ऐसा खरीदा जा सकता था जिससे कमरा पूरी तरह भरा जा सके ।
शिव प्रताप ने जवाब दिया - नही पिताजी मेरा कमरा पूरी तरह से भरा है । यह कहकर उसने अपने पिता को अपने कमरे की तरफ इशारा किया । (Shikshaprad kahani in hindi )
राजा ने उसका कमरा खोल के देखा - तो पूरा कमरा खाली था । बस बीच में एक छोटा सा दीपक रखा था जो जल रहा था । राजा वीरभान उस कमरे को देखकर मुस्कुराने लगे ।
राजा के मंत्री ने कहा -" महाराज ! राजकुमार शिव प्रताप ने तो पूरा कमरा खाली छोड़ दिया है।"
राजा वीरभान बोले - "नही मंत्री जी ! यह पूरा कमरा भरा हुआ है। शायद आपने ध्यान से नही देखा , यह पूरा कमरा प्रकाश से भरा हुआ है । राजकुमार शिव प्रताप ने अपनी सूझबूझ से काम लिया है । और वही इस परीक्षा के विजेता हैं और हमारे होने वाले नए महाराज भी ।"
उन्होंने शिव प्रताप के कंधे पर हाथ रखकर कहा - " एक चतुर इंसान बस मौके को भुनाने में बिना सोचे समझे लग जाता है , जबकि एक समझदार इंसान पहले किसी भी परिस्थिति को समझता है और उसके लिए सबसे बेहतर उपाय निकाल कर उस परिस्थिति से निपटता है ।
शिव प्रताप ने अपनी बुद्धि से , पैसे और समय की बचत के साथ साथ उपयोगी वस्तु खरीदी और उससे मिली हुई चुनौती को भी पूर्ण किया । इन तीनों में राजकुमार शिव प्रताप ही राजा बनने के सबसे योग्य हैं।"
इस प्रकार राजकुमार शिव प्रताप ने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए , खुद को साबित किया ।
इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है की कोई भी कार्य करने से पहले उसमे अपनी बुद्धि का प्रयोग करें, किसी प्रतिस्पर्धा के आवेश में आकर बिना दिमाग लगाए कोई कार्य नहीं करना चाहिए ।
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