रामपाल हवलदार की जासूसी कहानियां - भाग 1

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कमालपुर राज्य बहुत बड़ा और समृद्ध था । उसमे कई गांव आते थे । पर कुछ दिनों से राज्य में आए दिन भैंस चोरी हुआ करती थी । कभी किसी गांव में तो कभी दूसरे गांव से किसी की भैंस को रात में चोर उठा ले जाते थे । और यह सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा था । सभी गांवों के लोग परेशान थे । सभी अपनी अपनी भैंसों के पास ही सोने को विवश थे । जिस दिन भी कोई ऐसा नहीं कर पाता , उसकी भैंस चोरी हो जाती थी । आए दिन सुनने में आता था की आज उस गांव से भैंस उठ गई , या इस गांव से भैंस को चोर ले गए। सभी बहुत परेशान थे । 

ऐसी कोई भी घटनाएं जब किसी से नही रुकती थी , तब हवलदार रामपाल को ये जिम्मेदारी सौंपी जाती है ।
हवलदार रामपाल को तुरंत कमालपुर भेजा जाता है ।
वह कई गांवों में जाकर लोगो से बात करता है, और सारी घटनाओं की जानकारी लेता है ।
उसने एक बात नोटिस की जबसे चोरी शुरू हुई है , लोगो ने अपनी भैंस बकरियां बहुत सस्ते दामों में बेचनी शुरू कर दी हैं । वह उस किसान से मिला जिसने हाल ही में अपनी भैंस और बछड़ा बेचा था । रामपाल ने पूछा - " तुमने अपनी भैंस क्यों बेची ? 
किसान -: क्या करें साहब ! भैंस रखेंगे तो चोरी हो जायेगी , कुछ भी हाथ नही आयेगा । इससे अच्छा है की हम जो मिल रहा है उसमे बेच ही दें। 

रामपाल ने कुछ सोचा और फिर पूछा - तुमने अपनी भैंस किसे बेची ? 

किसान - सेठ धर्मदास को बेची । 

धर्मदास की भैंस चोरी नही होती क्या ? 

किसान - उनके पास तो बहुत पैसा है । वो अपने सभी जानवर एक बंद घेर में रखते हैं , और एक सिक्योरिटी गार्ड भी रखते हैं जो रात भर उनकी निगरानी करता है । 

रामपाल ने कई और गांवों के किसानों से बात की तो पता चला उनमें से ज्यादातर की भैंस सेठ धर्मदास ने ही खरीदी थी।

रामपाल रात होने पर धर्मदास के गांव पहुंचा । उसने रात के चौकीदार को देखा जो रात में सीटी बजाते हुए , अपनी ड्यूटी पूरी लगन से कर रहा था ।

फिर वह धर्मदास के सिक्योरिटी गार्ड के पास पहुंचा , उसने देखा सिक्योरिटी गार्ड गेट के बाहर कुर्सी पर पड़े पड़े सो रहा है ।



रामपाल ने सिक्योरिटी गार्ड को जगाते हुए पूछा - क्यों भाई गार्ड! इतनी चोरियां हो रही है , और तुम पड़े पड़े सो रहे हो ? 
गार्ड बोला - साहब , मेरी ड्यूटी मवेशियों की सुरक्षा की है , लेकिन में सुरक्षा तो तब करूं जब कोई मवेशी हो । यहां तो सब खाली पड़ा है ।
रामपाल ने देखा , सचमुच घेर में कोई मवेशी नही था । 

रामपाल सोच में पड़ गया , ऐसा कैसे हो सकता है ? अभी कल ही तो उस किसान की भैंस सेठ ने खरीदी थी। वह कहां गईं? 
 उसने गार्ड से सेठ के बारे में जानकारी ली - "यह बताओ भाई सेठ के परिवार में कौन कौन है ?"
गार्ड ने बताया - सेठ जी तीन भाई हैं। एक भाई इस इलाके का विधायक है , और सबसे छोटा भाई दूसरे शहर में एक बड़ा रईस आदमी है , उसके कई कसाईखाने चलते हैं । 

रामपाल यह सुनकर सब समझ गया , वह वहां से चुपचाप चला आया । 
अगले दिन रामपाल ने हैड ऑफिस आकर सबको बताया की भैंस चोर कोई है ही नही । असलियत में कोई भी भैंस चोरी हुई ही नहीं । 
यह सुनकर सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए । 

 रामपाल बोला - "असल में कोई भैंस कभी चोरी हुई ही नहीं । शुरू शुरू में दो भैंसें गायब हुई थीं। एक खुद रामपाल सेठ की , और दूसरी उनके ही साथ काम करने वाले कल्लू पहलवान की जो दूसरे गांव में रहता है । लेकिन ये भैंसें चोरी नही हुई बल्कि खुद बाहर भेजी गईं थी । "

ऑफिसर बोला - "लेकिन रामपाल ! जब भैंस खुद सेठ धर्मपाल की चोरी हुई तो वो खुद चोर कैसे हो सकता है ?"

रामपाल - "मैने कब कहा की धर्मदास चोर है । मैं तो कह रहा हूं की धर्मपाल दोषी है ।"

ऑफिसर - "यह सब तुम क्या कह रहे हो । मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा ।"

रामपाल - "सब समझता हूं साहब ! धीरज रखिए ।
सेठ धर्मदास ने अपनी और अपने साथ काम करने वाले कल्लू पहलवान की भैंस को खुद बाहर अपने भाई के कसाईखाने में भेजा। फिर चारों तरफ अफवाह फैलाई की भैंस चोरी हो रही हैं। वास्तव में उसके बाद एक भी भैंस चोरी नही हुई । बस अफवाह फैलाई गई की चोर भैंस उठा ले जाते हैं । इससे लोगो में दहशत फैल गई । और चोरी होने के नुकसान से बचने के लिए लोगो ने अपने जानवर सस्ते दामों में बेचने शुरू कर दिए। 
समय समय पर ऐसी अफवाह फैलाई जाती , और लोगो की भैंस आधे दामों में खरीदकर कसाईखाने में पहुचाई जाती और उससे मोटा मुनाफा कमाया जाता । इसलिए सेठ धर्मदास चोर तो नही है , लेकिन दोषी जरूर है । उसके साथ ही कल्लू पहलवान और सेठ धर्मदास का भाई भी इसमें बराबर दोषी हैं ।"

सभी मुजरिमों को पकड़कर जेल भेज दिया जाता है ।और लोगो को इस समस्या से निजाद मिलता है । सभी लोग रामपाल हवलदार की समझदारी की तारीफ कर रहे थे। रामपाल ने एक बार फिर खुद को साबित कर दिया है ।




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