कभी विदेश जाकर पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाला लड़का कैसे बना भीम आर्मी का चीफ , जानिए चंद्रशेखर आजाद के बारे में सबकुछ ( chandrshekhar ravan history)

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भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद (रावन) जो एक मजबूत दलित नेता के रूप में उभर कर आए है। वैसे तो इनका नाम किसी परिचय का मोहताज नही । किंतु वर्तमान में इन पर हुए जानलेवा हमले की वजह से इनका नाम फिर से सुर्खियों में है । 28 जून 2023 को बुधवार को चंद्रशेखर अपने घर सहारनपुर जा रहे थे। रास्ते में स्विफ्ट डिजायर सवार 4-5 बदमाशों ने उन पर गोलियां चलाईं , जिनमे एक गोली उनकी कमर को छू कर निकल गई । इस समय उनका स्वास्थ्य ठीक है। आइए जानते है की कैसे एक आम सा लड़का जो बस विदेश जाकर पढ़ना चाहता था । आज कैसे देश का एक जाना माना नाम बन गया -
परिचय -
चंद्रशेखर, जिन्हें चंद्रशेखर आजाद रावण के नाम से भी जाना जाता है, उनका जन्म 3 दिसंबर 1986 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के छुतमलपुर कस्बे के घडकौली गांव में हुआ उनके पिता का नाम गोवर्धन दास और माता का नाम कमलेश देवी है। चंद्रशेखर पांच भाई बहन हैं, उनके बड़े भाई भरत सिंह और छोटे भाई कमल किशोर हैं।
 उनके पिता एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल थे। तथा वे भीमराव अंबेडकर जी के विचारो से बहुत प्रभावित थे । उनकी ही सोच और शिक्षा से चंद्रशेखर के जीवन में प्रभाव आया ।

जीवन परिवर्तन -

 चंद्रशेखर ने D.A.V पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज देहरादून से law (कानून) की पढ़ाई की । वे आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाना चाहते थे । किंतु इसी बीच उनके पिता गोवर्धनदास को एक गंभीर बीमारी हो गई । जिसका इलाज सहारनपुर के हॉस्पिटल में चल रहा था । वहा अपने पिता के साथ हुए जातिगत दुर्व्यवहार को देखकर उनका मन बदल गया और उन्होंने जातीय भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करने की ठान ली ।

भीम आर्मी की स्थापना  bhim army chief-

उसके बाद उन्होंने अपने मित्र सतीश कुमार और विनय रतन सिंह के साथ मिलकर 2014 में भीम आर्मी संगठन की स्थापना की। जिसका उद्देश्य शिक्षा ज्ञान और धन बल से दलितों के उत्थान और उनके ऊपर हो रहे अत्याचार पर रोक लगाना है। उन्होंने दलितों के लिए 300 मुफ्त स्कूल भी खोले हैं। 
Chandrashekhar azad ravan history

संघर्षों से नाम बनाया -

2015 में अपने गांव के बाहर उन्होंने बोर्ड लगाया जिस पर लिखा था -" दढ़कौली के ग्रेट चमार आपका स्वागत करते हैं।" (The great chamars of dadhkoli welcomes you) 
यह पहला विवाद था जिससे चंद्रशेखर का नाम मीडिया में आया ।

चंद्रशेखर आजाद रावण का नाम देशव्यापी तब हुआ जब उन्होंने 2017 में सहारनपुर हिंसा में ऊंची जाति के ठाकुरों और दलितों के बीच संघर्ष हुआ । इस हिंसा में एक ठाकुर की जान चली गई और बीसियों दलितों के घरों को जला दिया गया । इस दंगे में up police ने चंद्रशेखर के खिलाफ अलग अलग धाराओं में 2 दर्जन से ज्यादा FIR दर्ज़ की। इसके बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा इन्हे जमानत पे रिहा कर दिया गया। किंतु फिर भी समय समय पर यूपी पुलिस इन्हे गिरफ्तार करती रही । 

मई 2017 में चंद्रशेखर आजाद ने भारत सरकार के नागरिकता बिल (CAA और NRC) के खिलाफ दिल्ली के जामा मस्जिद से जंतर मंतर तक एक बहुत बड़ी रैली निकाली । क्युकी दिल्ली पुलिस से उन्हें रैली की अनुमति नहीं मिली थी, उन्हे जामा मस्जिद से दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली पुलिस के मुताबिक लगभग 12000 से ज्यादा लोग चंदशेखर रावण का मास्क लगाए जय भीम के नारों के साथ इस रैली में शामिल हुए । तब पहली बार देश को चंद्रशेखर के प्रभाव और ताकत का अंदाजा हुआ । एक महीने तक जेल में रहने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया ।chandrashekhar ravan

राजनीति में प्रवेश -

15 मार्च 2020 में उन्होंने राजनीति में कदम रखने का फैसला किया और आजाद समाज पार्टी की स्थापना की ।और 2020 में बिहार चुनाव में पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के साथ गठबंधन किया । 
2019 में लोकसभा चुनाव में भी चंद्रशेखर की पार्टी ने चुनाव लडने की ठानी , और इलाहाबाद से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ लड़ने की सोची , लेकिन बाद में सपा बसपा गठबंधन होने से उन्होंने नाराजगी दिखाते हुए उन्होंने इस चुनाव से अपना नाम वापस ले लिया।

2020 में हाथरस में हुए दलित लड़की के सामूहिक बलात्कार के केस में विरोध करते हुए उन्हें 500 भीम आर्मी सदस्यों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया ।
इसके बाद अपने हजारों भीम सैनिकों के साथ इन्होंने कृषि कानून के खिलाफ भी दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन किया।जिसमे इन्हे अपने ही घर में नजरबंद कर दिया गया।

टाइम्स मैगजीन में नाम -

 फरवरी 2021 में विश्व प्रसिद्ध टाइम्स मैगजीन ने चंद्रशेखर रावण को विश्व के 100 उभरते हुए नेताओ की लिस्ट में जगह दी ।
2022 यूपी चुनाव में इन्होंने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गोरखपुर सिटी से चुनाव लड़ा,लेकिन वहा से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 

Chandrashekhar azad full details
फिर भी चंदेशखर रावण ने कभी पीछे मुड़कर देखा और निरंतर दलितों पिछड़ों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते रहते हैं। हमारी टीम चंद्रशेखर आजाद रावण के जल्दी स्वस्थ होने की कामना करती है । और उनके संघर्ष करने के जज्बे को सलाम करती है।

भीम
                

FAQ- 
1. Who is the chief of Bhim army?
Ans: Chandrashekhar Azad

2.What is the motto of Bhim army? भीम आर्मी का उद्देश्य क्या है?
Ans.  भीम आर्मी का मिशन है, "दलितों की गरिमा को संरक्षित रखने तथा उसे  पुनः स्थापित करने के लिए संघर्ष करना"।

3. What is Mission Jai Bhim? मिशन जय भीम क्या है?
Ans. मिशन जय भीम एक सामाजिक संगठन है जो देश के सभी राज्यों में  राष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रहा है। इसका उद्देश्य जातिभेद-रहित समान समाज की स्थापना करना  है और देश के मूलनिवासियों को उनकी मूल संस्कृति में वापस लाना है।

4. What is the history of bhim Sena? भीम सेना का इतिहास क्या है?
Ans. 1 अक्टूबर 2010 को, हरियाणा के गुरुग्राम जिले के खांडसा गांव में नवाब सतपाल तंवर ने भीम सेना की स्थापना की जो दलितों के रक्षा और समानता की मांग करने के लिए एक स्वयंसेवक दल के रूप में काम करती है। यह खुद को मूल भारतीय होने का दावा करते हैं

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