Hindi Kahani on Friendship ( dosti ki kahani in hindi )
हम सदैव आपके लिए लाते हैं Best Hindi Kahani संग्रह । इसी क्रम में आइए दोस्ती पर एक सुंदर कहानी पढ़ते हैं।
इसी तरह से दिन अच्छे से गुजर रहे थे । अमित की शादी हो चुकी थी और उसकी एक छोटी बेटी थी । जबकि रोहन की अभी शादी नहीं हुई थी , उसके घर में उसके मां पिताजी और एक बहन थी । दोनो अपने परिवार का बहुत अच्छे से ख्याल रखते थे ।
एक बार रोहन के पिता को एक गंभीर बीमारी ने घेर लिया । डॉक्टर ने उन्हें देखा और कहा की एक महीने में उनका ऑपरेशन करना होगा नही तो उन्हें बचाना मुश्किल हो जायेगा ।रोहन उनका अच्छा इलाज कराना चाहता था लेकिन उसके पास उतने पैसे नहीं थे। वह काफी चिंता में था । अमित को अपने मित्र की परेशानी समझते देर न लगी ।हालांकि रोहन ने उसे कुछ नहीं बताया था फिर भी वह सारी परिस्थिति देख समझ गया था की उसे क्या अवश्यकता है । हालांकि अमित के पास भी बहुत अधिक पैसे नही थे , फिर भी वह घर जाकर अपनी सारी जमा पूंजी ले आया और उसने रोहन के हाथ में थमा दी। रोहन ने रोते हुए अपने मित्र की तरफ देखा , अमित ने उसे हिम्मत बधाई की सब सही होगा ।
रोहन और अमित ने जब अपनी अपनी सारी बचत इकट्ठा कर ली तब भी उतने पैसे नही हो रहे थे जिससे पिता का इलाज कराया जा सके ।
इसपर रोहन ने तय किया की वह शहर जाकर कुछ दिनों के लिए काम करेगा और बचे हुए पैसे कमा कर लाएगा । अमित भी उसके साथ शहर जाने को कहता है , ताकि वे दोनों मिलकर ज्यादा पैसे कमा सकें । हालाकि रोहन नही चाहता था की उसका मित्र उसकी वजह से कष्ट उठाए , इसलिए उसने अमित को साथ आने से मना किया । किंतु अमित मानने वाला नही था । उसने कहा की हमने कभी एक दूसरे का साथ नही छोड़ा है , तो आज कैसे तुम्हे अकेला छोड़ दूं? क्या अगर यही परेशानी मेरे साथ होती तो क्या तुम साथ नही देते ?
यह सुनकर रोहन फिर आगे उससे कुछ न कह पाया । दोनो ने अगले दिन शहर को निकलने की योजना बनाई ।
अगले दिन वे दोनों शहर पहुंचे , और एक बड़े कारखाने में काम करने लगे । दोनो ने 20 दिन तक मेहनत से काम किया । और जब इतने पैसे जमा हो गए जो इलाज के लिए चाहिए थे , उन दोनो ने घर वापस जाने की सोची । वे दोनों कारखाने से अपना हिसाब करवा कर वापस चल दिए ।
उन्हें रास्ते में एक छोटे वीरान जंगल से गुजरना होता था । वे दोनों मित्र जब वहा पहुंचे , तो उन्हें एक खूंखार राक्षस ने उनका रास्ता रोक लिया । उसने अट्टहास करते हुए कहा - आज बड़े दिनों के बाद में पेट भरकर खाऊंगा । तुम दोनो मेरे आज के शिकार हो ।
राक्षस को देखकर दोनो मित्र बहुत भयभीत हो गए, और उससे अपने प्राणों की भीख मांगने लगे । उन्होंने राक्षस को अपनी मजबूरी बताई और उससे दोनो को जाने देने की विनती करने लगे ।
राक्षस को उनकी कहानी सुनकर थोड़ी दया आ गई , वह बोला - ठीक है! तुम दोनो में से में एक को जाने दूंगा , क्युकी मैने बहुत दिनो से कुछ नही खाया है , इसलिए तुम दोनो आपस में तय कर लो की कौन मेरा भोजन बनेगा?
यह सोचकर दोनो मित्र सोच में पड़ गए । अब वे दोनों बड़ी दुविधा में थे । दोनो के ऊपर अपने अपने परिवार की जिम्मेदारी थी , पर दोनो ही अपने मित्र के लिए भी चिंतित थे ।
सबसे पहले अमित बोला - है राक्षस राज ! मेरे मित्र रोहन के पिता बहुत बीमार हैं । उसे इस समय उनके पास रहना , उनकी सेवा करना जरूरी है । इसलिए आप मुझे खा लीजिए और रोहन को जाने दीजिए ।
इस पर रोहन बोला - नही नही अमित !, तुम्हारे ऊपर अपने बीवी बच्चो की जिम्मेदारी है । मेरा क्या है ? मेरा विवाह भी अभी नही हुआ है । तुम इन पैसों के साथ घर चले जाओ और मेरे पिता का इलाज करवा देना । राक्षस राज का भोजन में बन जाता हूं ।
इस तरह दोनो एक दूसरे से खुद को बलि होने के लिए विवाद करने लगे।
राक्षस खड़ा खड़ा यह सब सुन रहा था , उसे हैरानी हो रही थी की इतने वर्षो में यह दोनो पहली बार ऐसे मिले है जिन्हे अपनी जान से ज्यादा अपने मित्र को बचाने की पड़ी है । इन्हे अपनी अपनी परेशानियों से ज्यादा दूसरे की ज्यादा चिंता है।
आज तक उसने लोगो को अपनी अपनी जान बचाने के लिए लड़ते देखा था । यह पहली बार था जब उसे इस प्रकार की कोई लड़ाई देखने को मिली थी ,जिसमे लोग एक दूसरे की जान बचाने के लिए लड़ रहे थे । सगे भाइयों तक को उसने अपनी अपनी जान के लिए भीख मांगते देखा था । पहली बार उसने ऐसी मित्रता देखी थी ।
उसने दोनो को टोकते हुए कहा - जल्दी से तय करो किसे मेरा भोजन बनना है ।
यह सुनकर दोनो मित्र शांत खड़े हो गए , एक दूसरे की तरफ उन्होंने दुख से देखा । फिर वे बोले -" राक्षस राज ! अब आप ही चुनाव कर लें , जिसे भी आप खाना चाहें , खा लीजिए , हम में से जो भी बच जायेगा वह दूसरे के परिवार का ख्याल रख लेगा । "
इसे भी पढ़ें - शेर और लकड़बग्घे की कहानी
राक्षस यह सुनकर थोड़ी देर मुस्कुराया । फिर दोनो से बोला - "तुम्हारी दोस्ती देखकर में प्रसन्न हो गया । सदैव ऐसे ही मित्रता बनाए रखना । जाओ मैं तुम दोनो का जीवन बक्शता हूं । "
दोनो मित्रों ने राक्षस को धन्यवाद दिया और एक दूसरे के गले मिले । फिर अपने रास्ते पर आगे बढ़ गए ।
उन्हे एक अंदरूनी संतुष्टि प्राप्त हो रही थी ।आज उनकी दोस्ती ने दोनो को जान बचा ली थी ।
If u have any doubt or suggestions. Let us know