जब सीमाओ ने था पुकारा
माँ का बुलावा छोड़ आया
मै फ़र्ज़ निभाने की खातिर
कुछ क़र्ज़ पुराने छोड़ आया।।
जो दिल से चाहती थी मुझको
दिल उसका भी मै तोड़ आया
हाथों की मेहँदी न छूटी
उससे पहले मै छोड़ आया।।
लड़ा हूँ साँस आखिरी तक
सीने पर गोली खायी है
जीवन अपना कुर्बां करके
मैेने देश की लाज बचाई है।।
अब ज़िम्मेदारी है तुम पर
ज़रा दिल से निभालो तुम यारों
लेता हूँ विदा इस धरती से
अब देश सम्भालो तुम यारों...।।
मेरी माँ से इतना कहना
जब अगले जन्म में आऊँगा
जो फ़र्ज़ हैं बेटे के होते
मै अगली बार निभाउंगा।।
है रब से मेरी यही दुआ
माँ तू ही मुझे हर बार मिले
तेरा ही हो आँचल फिर से
फिर से तेरा ही प्यार मिले।।
माँ तुझसे जो मै दूर आज
जो लहूलुहान हो लेटा हूँ
आखिर में फ़र्ज़ ही तो है मै
भारत माँ का भी बेटा हूँ।।
इच्छा बस इतनी है जाके
माँ को बतलादो तुम यारों
लेता हूँ विदा इस धरती से
अब देश सम्भालो तुम यारों।।।
बस गुनेहगार हूँ मै उसका
जिसने हाथों में हाथ दिया
जीवन के हर इक सुख-दुःख में
संग संग चलने में साथ दिया।।
उसे जीवन भर खुश रखने का
वादा करके आया लेकर
पर आज आखिरी बार भी मै
जा रहा हूँ बस आंसू देकर।।
तुम्हे छोड़ के यूँ मेरा जाना
अतः मेरी मजबूरी थी
तेरे आँसू से भी बढ़कर
भारत की लाज ज़रूरी थी।।
शायद वो समझेगी मुझको
जाकर समझादो तुम यारों
लेता हूँ विदा इस धरती से
अब देश सम्भालो तुम यारों ।।
If u have any doubt or suggestions. Let us know