शहीद की अरदास

BloggerV
0

ये तीन रंग की ओढ़नी, तुम मुझको ज़रा उढ़ा देना
देश पे तन बलिदान किया , तुम इसका मान बढ़ा देना
ये तीन रंग की......

आँसू का मै मोहताज़ नही
ना दया पात्र ना करुणा का
मुझको बस शान समझना तुम
मै वीर पुत्र भारत माँ का
गर मिल जाए कोई भूखा
महिला बच्चा या हो बूढ़ा
जो तन से हो लाचार मगर
मन का होवे सीधा सच्चा
मेरी अभिलाषा समझ के तुम
बस उनका पेट भरा देना
ये तीन रंग की ओढ़नी .......

गर मिल जाए मेरे पापा ,
रस्ते में हों पैदल जाते
कर लेना बात ज़रा उनसे
चेहरा थोड़ा सा मुस्काके
ये बात गर्व की होती है
बलिदान देश पे कर जाना
ये देश तुम्हारे साथ सदा
बेटे कोे पड़ा भले जाना
काँधे पर रखकर हाथ ज़रा
तुम बात यही समझा देना......
देश पे तन बलिदान किया
तुम इसका मान बढ़ा देना
ये तीन रंग की ओढ़नी ........

जब तुम आपस में लड़ते हो
तो बात मेरी ये सुध रखना
ये कुछ धूर्तो की चाले है
जिनका मक़सद जेबे भरना
ये जाति धर्म के नामों पर
तुम सबको ऐसे बांट रहे
हैं देश प्रेम को भूल चुके
बस अपनी कुर्सी छाँट रहे
मैने तो कभी नही देखा
जो धर्म का लेते है ठेका
सरहद पर लड़ने आया हो
इनका कोई भाई बेटा
ऐसे छलियो और कपटो क़ी
अब तुम बातों में मत आना
हम सब इक माँ के बेटे है
ये उनको सबक सिखा देना

देश पे तन बलिदान किया
तुम इसका मान बढ़ा देना
ये तीन रंग की ओढ़नी.......

Post a Comment

0Comments

If u have any doubt or suggestions. Let us know

Post a Comment (0)