अन्ना हों हर हिन्दू में
हर मुसलमान हो जाए कलाम
ऐसे भारत को मेरा सलाम
ऐसे भारत को मेरा सलाम।।
जहाँ नफरत के जज़्बात न हों
जहाँ धर्म-जात की बात न हों
सहनशीलता हो सबमें
जहाँ दंगे और उत्पात न हों।
जहाँ ईद मनाता हिन्दू हो
और तिलक लगाता मुसलमान
जहाँ सिख जाए गिरजाघर में
और ईसाई गाये गुरुबान ।।
जहाँ प्रेम ही सच्ची पूजा हो
और नफरत पर लग जाए लगाम
ऐसे भारत को मेरा सलाम
ऐसे भारत को मेरा सलाम।।
जहाँ प्रतिभा और परिश्रम भी
न बली चढ़े आरक्षण की
हर मेहनत को परिणाम मिले
हो बन्द प्रथा ये भक्षण की ।।
जहाँ नारी को सम्मान मिले
देवी के जैसा मान मिले।
न बालक हो मज़दूर कोई
सबको शिक्षा और ज्ञान मिले।।
आज़ादी के बलिदानो का
तब होगा असली सम्मान
ऐसे भारत को मेरा सलाम
ऐसे भारत को मेरा सलाम।।
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