यह कहानी यूरोपियन किस्से कहानियों का एक भाग है, वहा के लोगो में काफी प्रचलित काल्पनिक कहानी है। पाश्चात्य देशों में बच्चो की किताबो में उन्हें बहादुरी की सीख देने को यह कहानी काफी कही सुनाई जाती है।
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक प्यारी सी लड़की जिसका नाम हूड था रहती थी।उसकी दादी ने उसके लिए एक लाल ओढ़न बनाया था जिसे वह हमेशा पहना करती थी ।इसलिए उसे लिटिल रेड राइडिंग हुड(little red riding hood ) नाम से पुकारा जाता था ।
एक प्यारी सी सुबह को , हुड की मां ने उसे बुलाया और कहा, "मेरी प्यारी बेटी , तेरी दादी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। मैं चाहती हूँ कि तुम इस स्वादिष्ट खाने की टोकरी को उनके पास ले जाओ । किंतु सावधान रहना और रास्ते से भटकना न जाना"
(kahani in hindi)
हुड खुशी-खुशी टोकरी लेती है और जंगल के रास्ते में चल देती है। पक्षियों की खुशमिजाज चहचहाहट हो रही थी और रंगीन जंगली फूल उसके मार्ग को सजा रहे थे। वह चलती रही, और हरा-भरा एक खुशहाल गाना गाते हुए जा रही थी थी, किंतु जंगल में एक अनजान खतरा उस पर नजर रखे हुए था।
हुड को पता नहीं था कि एक धूर्त भेड़िया उसे पेड़ों के पीछे से देख रहा था। वह निश्चिंत होकर गाना गाते हुए जा रही थी - दादी के पास जाना है,
देना उनको खाना है
फिर वो दवा खायेंगी,
जल्दी से ठीक हो जाएंगी।।
भेड़िया बहुत चालाक और धूर्त था । वह गाना सुनकर समझ गया की रेड अपनी दादी के यहाँ जा रही है।उसने रेड और उसकी दादी दोनो को खाने के लिए एक योजना बनाई वह एक छोटा रास्ता लेकर पहले ही हुड की दादी के घर पहुंच गया।
चालाक भेड़िया अपनी धोखेबाजी की आवाज़ का इस्तेमाल करते हुए दरवाजा खटखटायाज "दादीजी, मैं हूँ, रेड हूड! मैं आपके लिए कुछ स्वादिष्ट भोजन लेकर आई हूँ," और दवा भी। आप इसे खाकर जल्दी से स्वस्थ हो जाइए फिर में आपके साथ जंगल में घूमने चलूंगी।
बीमार दादीजी, बिस्तर से उठकर दरवाजा खोलते हुए , कहती है, "आओ, मेरी प्यारी रेड, दरवाज़ा तुम्हारे लिए हमेशा खुला ही है।
भेड़िया अंदर घुस गया और उसने बिचारी बीमार दादी पर हमला करके उन्हें बेहोश कर दिया और उन्हें बिस्तर के नीचे छुपा दिया । रेड के आने से पहले उसकी दादी का गाऊन और टोपी पहन कर उनकी जगह लेट गया । और लिटिल रेड हुड के आने का इंतजार करने लगा।
( Red riding hood ki kahani )
जब रेड हुड धीरे-धीरे अपनी दादी के घर पहुंचती है, वह आवाज लगाती है - दादीजी, मैं हूँ, रेड हूड! मैं आपके लिए कुछ स्वादिष्ट भोजन और दवा लेकर आई हूँ,"
धूर्त भेड़िया दादी की आवाज में बिस्तर पर लेटे लेटे बोला -आओ, मेरी प्यारी रेड, दरवाज़ा खुला हुआ है।मुझे पहले से पता था की तुम आने वाली हो और में बार बार बिस्तर से नही उठ सकती , इसलिए मैने पहले से ही दरवाजा खोल के रखा था।"
रेड हुड को आश्चर्य होता है, क्युकी जंगल के पास घर होने के कारण दादी कभी भी दरवाजा खुला नही रखती थी ।फिर भी वह सावधान होकर अंदर जाती है और बिस्तर की ओर देखती है।जहा गाऊन पहने और टोपी लगाए दादी बिस्तर पर लेटी है। उसे अपनी दादी में अजीब से बदलाव नजर आते हैं।
वह पूछती है- "दादीजी, तुम्हारे कान कितने बड़े हैं!"
धूर्त भेड़िया जवाब देता है, "वो इसलिए की में तुम्हारी बात अच्छे से सुन सकूं।"
रेड को डर महसूस होता है , वह फिर पूछती है -"दादीजी आपकी आंखे इतनी बड़ी कैसे हैं?"
भेड़िया - " वो इसलिए ताकि में तुम्हे अच्छे से देख सकूं"
रेड हुड को समझ आ गया की कुछ गडबड है , उसने फिर पूछा - "दादीजी आपके दांत इतने बड़े क्यूं हैं?"
भेड़िया(झल्लाकर) - "ताकि में तुम्हे अच्छे से खा सकू" । कहते हुए भेड़िया ने अपना असली रूप रेड हुड को दिखाते हुए उस पर झपटा । "
रेड हुड ने बहादुरी दिखाते हुए पलक झपकते घर से बाहर निकालकर घर का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया । और तेज शोर मचाने लग गई जिससे आसपास लकड़ी काट रहे कुछ लकड़हारे कुल्हाड़ी लेकर उसे बचाने आ गए।उन्होंने भेड़िए को खदेड़कर वहा से भगा दिया । रेड हुड ने अपनी दादी की तलाश की तो उसे बिस्तर के नीचे बेसुध पड़ी हुई मिल गईं। उसने उन्हें होश में लाया और सारी बात बताई । उसकी दादी रेड की बुद्धि और निडरता से बहुत खुश हुई और उसे गले से लगा लिया ।
इस तरह से रेड राइडिंग हुड ने समझदारी और बहादुरी का परिचय देते हुए खुद की रक्षा की
सीख - अनजान व्यक्तियों पर भरोसा न करें तथा सतर्क रहे । मुसीबत के वक्त सूझबूझ से काम लें।
लेखक - Charles Perrault (French writter)
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