सबसे बेहतर कौन ? (hindi kahani) Hindi Kahani Collection,Hindi Kahani Online

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स्वागत है आपका हिंदी कहानी में , हम आपके लिए लाए है Hindi Kahani Collection में से  एक शिक्षाप्रद short hindi kahani ।

एक नगर में एक धनी सेठ रहता था । वह एक बहुत बड़ा व्यापारी था जो कई तरीकों के माल की खरीद और बिक्री किया करता था । इस कार्य से वह बहुत संपन्न हो गया था।
सेठ के तीन नौकर थे , हरी, शिवशंकर और सुधीर । जो उसके व्यापार में उसकी मदद करते थे । तीनो ही काफी ईमानदार थे और जो काम उन्हे सेठ बताता उसे काफी लगन और मेहनत से करते थे ।
 पर उनमें से सेठ को सबसे प्रिय हरी ही था । सेठ सभी महत्वपूर्ण काम हरी को ही देते थे , और अक्सर लोगो के सामने हरी की तारीफ किया करते थे । इस बात से बाकी दोनो नौकरों में हरी से ईर्ष्या होती थी। 
उन्हे लगता था सेठ जी ही हमारे साथ भेदभाव करते हैं। जो कार्य हरी कर सकता है वो हम भी कर सकते हैं। फिर भी सेठ जी हरी को ही ज्यादा पसंद करते हैं। और उसी को सभी महत्वपूर्ण कार्य देते है, यहां तक की तारीफ भी हरी की ही ज्यादा करते हैं। 

एक दिन सेठ ने हरी को किसी काम से नगर में भेजा । शिवशंकर और सुधीर को लगा की आज सेठ जी से सीधे ही बात करते हैं की उन्हे हरी ही इतना क्यों पसंद आता है । 
तो वे दोनों हरी के जाने के बाद सीधे सेठ जी के पास पहुंचे , और बोले - सेठ जी ! हम लोग काफी सालों से आपके पास काम कर रहे हैं , हम पूरी ईमानदारी और मेहनत से आपके लिए काम करते हैं , फिर भी आप केवल हरी को ही अपना प्रिय मानते हैं। ऐसा क्यों ?"

सेठ बोले -" ऐसा नहीं है । आप दोनो भी मुझे उतने ही प्रिय हो जितना की हरी । आप लोगो से भी मुझे कभी कोई शिकायत नहीं मिली ।"

शिवशंकर बोला - "फिर आप हमेशा हरी की ही तारीफ करते हैं , और सभी महत्वपूर्ण कार्य केवल उसे ही करने को क्यों देते हैं ? क्या हम दोनो में वह क्षमता नही है ?"

यह सुनकर सेठ थोड़ा सोच में पड़ गया , उसने सोचा की इन दोनो को किसी तरह समझाना पड़ेगा की हरी मेहनती होने के साथ साथ तीव्र बुद्धि और दूरदर्शिता भी रखता है । जिसके कारण ही हर जगह उसकी तारीफ होती है । पर सिर्फ यदि में इनसे यह सब कहूंगा तो इन दोनो के दिमाग में केवल हरी के लिए नफरत और बढ़ेगी । 
सेठ यह सोच ही रहा था की कैसे इन्हे समझाऊं , तभी बाहर से एक फेरी वाले की आवाज आई जो कुछ बेचने आया था । सेठ के दिमाग में एक विचार आया । 
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उसने पहले सुधीर से कहा - ठीक है में इस बारे में आपको बाद में बताता हूं, पहले बाहर कोई कुछ बेचने आया है । जाओ पता करके आओ ।
सुधीर बाहर गया और वापस आकर बोला - सेठ जी , वह तो धान बेचने आया आया है ।
सेठ - क्या भाव में दे रहा है धान? 
सुधीर - अरे सेठ जी यह तो मेने नही पूछा , में अभी पूछकर आता हूं। 
सेठ - नही तुम रहने दो । शिवशंकर ! तुम जाओ और जानकारी करके आओ ।
शिवशंकर जाता है और वापस आकर कहता है - सेठ जी ! वह दस रुपए का एक मन धान बेच रहा है। 
सेठ - अच्छा , कौन सी किस्म का धान है? 
शिवशंकर मुंह नीचे करके बोला , सेठ जी में अभी दुबारा जाकर पूछ कर आता हूं। 
सेठ जी कुछ बोलते इतने में हरी नगर से वापस आता हुआ दिखाई दिया । 
हरी आकर बोला -" सेठ जी आपका दिया हुआ काम खत्म करके में वापस आ रहा था , तभी मुझे एक किसान धान बेचता दिखाई दिया । मैने देखा की वह उच्च किस्म का बासमती धान है तो मैने उससे मोलभाव किया तो वह मुझे नौ रुपए प्रति मन देने को तैयार हो गया । आप कहें तो हम पांच मन खरीद लें । क्युकी उतरते मौसम में धान की कीमत बढ़ने का पूरा पूरा संयोग बन रहा है ।"

इतना सुनकर सेठ ने मुस्कुराते हुए सुधीर और शिवशंकर की ओर देखा । उन दोनो ने शर्म से अपना सिर झुका लिया । उन्हे समझ आ गया था की हरी और उनके कामों में क्या फर्क है । हरी को जो भी प्रसंशा मिलती है वह उसका सचमुच हकदार है ।

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इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है की सम्मान और प्रसंशा अपने खुद से कमाई हुई वस्तुएं होती हैं । उतनी ही मिलती है जितने आप हकदार होते है। इसमें ईर्ष्या की नही अपितु सीखने की और खुद में सुधार की अवश्यकता होती है।


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