Story on friendship -
एक गांव में 2 मित्र रहते थे एक का नाम रविदास और दूसरे का नाम हेमदास था । दोनों अच्छे मित्र थे और ज्यादातर साथ ही रहते थे। रविदास का आम का बाग था , जिससे वह फलों को तोड़कर शहर में बेचने जाता था । और जबकि हेमदास तालाब से मछली पकड़कर शहर में बेचता था । दोनो अपने अपने काम में काफी माहिर थे ।
वे दोनों ही पास के एक शहर में सुबह एक साथ ही अपना अपना माल बेचने जाते थे और शाम को साथ ही वापस आते थे । रास्ता बहुत अधिक दूर नहीं था इसलिए वे दोनों पैदल ही गांव से शहर की ओर जाया करते थे।
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गांव के बाहर कुछ दूर चलकर उन्हें एक जंगल से होकर गुजरना पड़ता था। एक बार वे दोनों माल बेचकर शहर से अपने गांव वापस लौट रहे थे तभी जंगल में उन्हें मार्ग से थोड़ी दूर हटकर एक खूंखार भालू दिखाई दिया । भालु दहाड़ कर दोनों की ओर लपका । यह देख दोनों मित्रों ने एक तरफ दौड़ना शुरू कर दिया ।भालू उनका पीछा करते हुए उनकी ओर दौड़ रहा था ।
कुछ दूर जाकर उन दोनों को एक पेड़ दिखाई दिया रविदास को पेड़ पर चढ़ना आता था , क्युकी उसका काम ही पेड़ो पर चढ़कर फल तोड़ना था । तो वह तेजी से पेड़ पर चढ़ गया किंतु हेमदास को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था ।उसने पेड़ पर चढ़ने की कोशिश की ,किंतु है नीचे गिर गया। रविदास ने अपनी जान बचाने के चक्कर में अपने मित्र की परवाह नही की और ऊपर ही बैठा रहा। उसने हेमदास की कोई मदद करने का प्रयत्न नही किया। अब हेमदास की जान खतरे में थी । उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें तभी उसके दिमाग में एक तरकीब आई ,उसे अपना हुनर याद आया की वह तो मछली पकड़ने के लिए कई बार तालाब में गहरे पानी तक में जाता है, इस काम की वजह से उसकी सांस रोक कर रखने की क्षमता बहुत अधिक थी ।इसलिए तुरंत वह नीचे पड़ा हुआ सांस रोककर मरने का नाटक करने लगा।
इतने में भालू आ गया भालू ने हेमदास को चारों तरफ से देखा। और उसका मुंह सूंघने लगा। हेमदास ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और चुपचाप सांस रोककर मृत शरीर की तरह पड़ा रहा ।भालू ने थोड़ी देर उसे जांचा परखा और बाद में मरा समझकर छोड़ कर आगे बढ़ गया।
रविदास यह सब पेड़ से देख रहा था उसे लगा भालू ने हेमदास के कानों में कुछ कहा है। भालू चला गया तो वह नीचे उतरकर आया और उसने हेमदास से पूछा - "भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा?"
हेमदास बोला -" भालू ने मुझसे कहा की धोखेबाज मित्र पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए।" यह सुनकर रविदास को अपनी गलती पर पछतावा हुआ क्योंकि उसने अपने मित्र को मुसीबत में छोड़ दिया ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चा मित्र वही है जो मुसीबत में आपके साथ खड़ा हो अतः मित्र बनाते समय सोच विचार करना अति आवश्यक है।
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