क्या लिखू मैं माँ के बारे में

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वो दीपक इस अंधियारे में
वो छाँव धूप उजियारे मेँ
मेरे लिए दुआए मांगती हर
मन्दिर मस्जिद गुरूद्वारे में
उसकी ममता क्या बतलाऊ
क्या लिखू मैं माँ के बारे में ||

अपनी इच्छा क़ुर्बा करके
मेरे शौक वो पूरे करती है
गर चोट मुझे लग जाए कही
तो सारी रात वो जगती है
चन्दा सूरज संसार दिखे
उसे अपने बेटे प्यारे में
उसकी ममता क्या बतलाऊ
क्या लिखू मै माँ के बारे में||

माँ जैसा कोई नही सच्चा
कोई सच को सच्चा माने ना
मतबल की बाते जाने सब
पर बात का मतलब जाने ना
ऐसो को रखो दूर बहुत
माँ रखो दिल-गलियारे में
उसकी ममता क्या बतलाऊ
क्या लिखू मैें माँ के बारे में||

कुछ ऐसे भी है लोग यहाँ
दिनभर तो ज्योत जगाते हैं
बुढ़ी माँ तो भूखी बैठी
वो "माँ" को भोग लगाते हैं
घर का भगवान ही रूठा तो
क्या मिलेगा राम-द्वारे में
उसकी ममता क्या बतलाऊ
क्या लिखू में माँ के बारे में||

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